गोविंदा...(Govinda) यह नाम दिमाग में आते ही एक ऐसे स्टार का चेहरा उभरता है जो जबरदस्त ऐक्टिंग, कमाल की कॉमिक टाइमिंग, बेहतरीन डांस के लिए जाना जाता है। 80 और 90 के दशक में गोविंदा का खूब बोलबाला रहा। वह एक साथ 4-5 फिल्में कर रहे थे। स्टारडम की नई ऊंचाइयां छू रहे थे। लेकिन गोविंदा की जिंदगी में कभी एक ऐसा भी वक्त था जब वह राशन तक नहीं खरीद पाते थे और लिया उधार भी नहीं चुका पाते थे। गोविंदा ने उस दौर के बारे में 1997 में 'इंडिया टुडे' को दिए इंटरव्यू में बताया था। उन्होंने बताया था कि किस तरह वह विरार के चॉल की गलियों से निकलकर बॉलिवुड के स्टार बने। गोविंदा जब छोटे थे तो उनका परिवार बेहद आर्थिक तंगी में था। बनिया घंटों खड़े रखता, पैसे नहीं दे पाते थे गोविंदा गोविंदा ने बताया था, 'बनिया मुझे अपनी दुकान के बाहर घंटों खड़े रखता था क्योंकि मैं जो राशन खरीदता था उसके पैसे नहीं देता था। एक बार मैंने दुकान पर जाने से इनकार कर दिया। तब मेरी मां ने रोना शुरू कर दिया और मैं भी रोने लगा।' पढ़ें: जब चॉल में रहने लगा पूरा परिवार बता दें कि गोविंदा के पिता अरुण आहूजा (Govinda father Aroon Ahuja) 40 और 50 के दशक के जाने माने हीरो थे और मां निर्मला देवी एक सिंगर और ऐक्ट्रेस। बावजूद इसके गोविंदा और उनके पूरे परिवार को मुश्किल दौर का सामना करना पड़ा था। गोविंदा के पिता अरुण आहूजा ने एक फिल्म प्रड्यूस की थी, जो फ्लॉप रही। नतीजा यह हुआ कि पूरे परिवार को भारी नुकसान उठाना पड़ा और गुजारे में भी मुश्किल होने लगी। गोविंदा के परिवार को अपना कार्टर रोड वाला बंगला तक बेचना पड़ गया था। तब पूरा परिवार विरार में एक चॉल में आकर रहने लगा। जब धक्का मारकर निकाल देते थे निर्माता-निर्देशक यहीं गोविंदा का जन्म हुआ था। बाद में गोविंदा जब फिल्मों में स्टार बने तो वह विरार चॉल में अपने घर भी गए थे। हीरो और एक सिंगर का बेटा होने के बावजूद गोविंदा को फिल्मों के लिए भी काफी स्ट्रगल करना पड़ा था। गोविंदा ने साल 2018 में नवभारतटाइम्स डॉट कॉम के साथ खास बातचीत में बताया था कि स्ट्रगल के दिनों में कई निर्माता-निर्देशकों ने उन्हें धक्के मारकर बाहर निकाल दिया था। उस वक्त गोविंदा के पास खाना खाने तक के पैसे नहीं होते थे। लेकिन एक बंगाली भाई थे जो उन्हें खाना खिलाते और पैसे तक नहीं लेते थे। पढ़ें: खाने से लेकर डांस फीस सबकुछ माफ गोविंदा ने कहा था, 'जब मैं स्ट्रगल कर रहा था, तब हर निर्देशक-निर्माता को अप्रोच करता था कि वह मुझे अपनी फिल्म में ले लें। कई बार तो मुझे बड़े नामचीन निर्देशकों और निर्माताओं ने अपने ऑफिस से धक्का देकर बाहर निकाल दिया था। मुझे जब लोग अपने ऑफिस से धक्का देकर बाहर निकालते थे तब मेरा खूब झगड़ा भी होता था। स्ट्रगल के दौरान एक बंगाली भाई थे जो मुझे खाना खिलाते थे तो पैसे नहीं लेते थे, जूते वाले एक भाई भी मुझसे पैसे नहीं लेते थे और डांस मास्टर-फाइट मास्टर भी अपनी फीस मुझसे नहीं लेते । यह सब भगवान की कृपा ही तो थी।'
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