नूरजहां (Noor Jehan)... पाकिस्तान (Pakistan) की सबसे फेमस सिंगर रहीं। जिस तरह () को भारत की स्वर-कोकिला कहा गया। ठीक वैसे ही नूरजहां पाकिस्तान की आवाज रहीं। साल 1942 से 1948 तक नूरजहां का भारतीय फिल्मों में शानदार करियर रहा, लेकिन विभाजन और पाकिस्तान में बसने की उनक पसंद से ये करियर छोटा हो गया। उस वक्त नूरजहां ने 'जुगनू', 'मेला' और 'अनमोल घड़ी' जैसी यादगार फिल्मों में काम किया। लता मंगेशकर के निधन के बाद हमारे सहयोगी ईटाइम्स ने नाजिया ऐजाज से बात की। उन्होंने पुरानी यादों को याद किया, जब उनकी मां और लता की मुलाकात होती थी। उन्होंने 'बॉम्बे' के पुराने दिनों को फिर से ताजा किया। नूरजहां करती थीं सम्मान नाजिया ऐजाज ने खुलासा किया, 'म्यूजिक की कोई सीमा नहीं होती है और ये सीधे हमारे दिलों तक पहुंच जाता है, हमारी आत्मा से बात करता है। लता जी उन सभी के दिलों में हैं, जिन्होंने उनकी सुरीली आवाज सुनी। मेरी मां, मैडम नूरजहां, लता जी का बहुत सम्मान करती थीं। उन्हें उनसे स्नेह था और उनकी प्रतिभा की सराहना करती थीं।' लंदन में कई बार मिले नाजिया ने आगे खुलासा किया कि नूरजहां और लता मंगेशकर लंदन में कई मौकों पर मिले थे। उन्होंने कहा, 'वहां छुट्टियां मनाते हुए वे लंदन में कई बार मिल पाए। मुझे उन्हें एक साथ देखने का सौभाग्य मिला। गर्मजोशी और सम्मान था। मुंबई और लोगों की बहुत सारी कहानियां थीं, जिन्हें मां ने पीछे छोड़ दिया था। मां लता जी के लिए खाना बनातीं और याद दिलातीं।' लता जी को शरमाते देखा नूरजहां की बेटी ने आगे कहा, 'एक बार मैंने देखा की लता जी मेरी मां के सामने शरमा रही थीं, जब उन्होंने उन्हें रजिया सुल्तान के लिए खय्याम साहब की शानदार रचना 'ऐ दिल-ए-नादान' गाने के लिए कहा। मां ने उन्हें उनके लिए गाने के लिए कहा। वो उस गाने से प्यार करती थीं, खासतौर पर वो खामोशी, जो कंपोजिशन के बीच में इस्तेमाल की गई थी।' नूरजहां ने लता के लिए कही ये बात दुनियाभर में लाखों लोगों की तरह नूरजहां भी लता जी की प्रतिभा को एडमायर करती थीं। नाजिया ने खुलासा किया, 'मुझे याद है। मां ने एक बार इंटरव्यू में कहा था, 'लता लता है।' वो लोग जो संगीत से प्यार करते हैं, वो लोग जिन्होंने लता जी की गोल्डन आवाज सुनी है, सभी शोक मनाते हैं। वो हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी। मैं अपने जीवन के साउंडट्रैक के रूप में इन सभी महान आचार्यों को पाकर बहुत आभारी हूं।' गौरतलब है कि लता मंगेशकर का 6 फरवरी को निधन हो गया। वो करीब 1 महीने से हॉस्पिटल में ऐडमिट थीं। वो कोरोना वायरस से संक्रमित हो गई थीं और निमोनिया से भी जूझ रही थीं। हालांकि, उन्होंने दोनों ही बीमारियों को मात दे दी थी, लेकिन वो जिंदगी की जंग हार गईं।
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