के लिए आज (27 नवंबर) बेहद खुशी का दिन है। वह ऑफिस तोड़ने के मामले में बीएमसी के खिलाफ केस जीत गई हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस केस में माना है कि बीएमसी की नीयत में खोट था। साथ ही इसमें महाराष्ट्र सरकार का भी कहीं ना कहीं हाथ था। कंगना के वकील रिजवान सिद्धीकी ने फैसला आने के बाद इस बारे में बात की। बीएमसी के ऐक्शन के बाद हेडलाइन का था चर्चा कंगना रनौत के वकील रिजवान ने बताया, ऑफिस तोड़ने के दूसरे दिन सामना की हेडलाइन में लिखा था, 'उखाड़ दिया'। बीएमसी ने प्रक्रिया को नियम के तहत नहीं किया। इतनी पुलिस लेकर आए और अगले दिन भी सामना में रिपोर्ट आई, इससे पूरी दुनिया को जाहिर हो गया था कि शायद राज्य सरकार का हाथ है। हाई कोर्ट ने उस बार में कहा है कि साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता। जजेस ने उस पहलू को नजरअंदाज नहीं किया और अपने जजमेंट में लिखा है। बहुत बैलेंस्ड फैसला दिया है। मार्च तक पता चलेगा, कितना मिलेगा मुआवजा वहीं कंगना के वकील ने ये भी बताया कि मुआवजे के लिए कोर्ट ने बताया है कि वैल्युअर नियुक्त किया है। बीएमसी भी वैलुअर के साथ डिसकस कर सकती है। कंगना की तरफ से 2 करोड़ की मांग की गई थी। मार्च तक पता चलेगा कि वैलुअर ने कितना अमाउंट तय किया है। कंगना और महाराष्ट्र के बीच शुरू हुई थी जुबानी जंग कंगना और महाराष्ट्र सरकार के बीच जंग तब शुरू हुई जब कंगना ने मुंबई की तुलना पीओके से की थी। इसके बाद कंगना और के बीच जुबानी जंग छिड़ी रही। संजय राउत ने कंगना को हरामखोर लड़की तक कह दिया था। वहीं कंगना इस मामले पर लगातार ट्वीट करती रहीं। इसी के बाद बीएमसी के अधिकारी कंगना के दफ्तर पहुंचे और जमकर तोड़फोड़ की थी।
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