'शाकाल के हाथ में जितने पत्ते होते हैं, उतने ही पत्ते उसकी आस्तीन में होते हैं...' यह डायलॉग सुनते ही फिल्म 'शान' का विलन शाकाल याद आ जाता है। 1980 में आई यह फिल्म सुपरहिट रही थी और इसने शाकाल का रोल निभाने वाले ऐक्टर कुलभूषण खरबंदा को भी स्टारडम की नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया था। 40 साल बाद भी एक-एक डायलॉग याद शान को रिलीज हुए 40 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी यह फिल्म और इसके डायलॉग सिनेप्रेमियों की जुबां पर रहते हैं। रमेश सिप्पी की इस फिल्म में अमिताभ बच्चन से लेकर शत्रुघ्न सिन्हा, सुनील दत्त, शशि कपूर, मैक मोहन, राखी, परवीन बॉबी और बिंदिया गोस्वामी जैसे स्टार्स थे। शाकाल यानी कुलभूषण के करियर को दिए नए आयाम फिल्म सभी के करियर में मील का पत्थर साबित हुई पर कुलभूषण के लिए ऐतिहासिक सक्सेस दे गई। 'शाकाल' के रोल में कुलभूषण के डायलॉग आज भी लोगों के जेहन में हैं। यहां हम आपको शाकाल के फेमस डायलॉग्स के बारे में बता रहे हैं: शाकाल के वे डायलॉग जो आज भी रोंगटे खड़े कर देते हैं: 'शाकाल के हाथ में जितने पत्ते होते हैं, उतने ही पत्ते उसकी आस्तीन में होते हैं...' 'मैं उनकों यूंही नहीं मार डालूंगा..बहुत खेल-खेलके मारूंगा...जैसे बिल्ली चूहों को मारती है।' 'ये जहरीली गैस धीरे-धीरे महफिल को और भी रंगीन बनाती रहेगी।' 'अजीब जानवर है..कितना भी खाए भूखा ही रहता है।' 'तुम लोगों को हारना ही था और मुझको जीतना ही था..इसलिए कि ये बाजी दोनों तरफ से मैं ही खेल रहा था।' कुलभूषण आज भी फिल्मों में सक्रिय हैं और कई यादगार भूमिकाएं निभा चुके हैं। पर आज भी उन्हें लोग 'शाकाल' के नाम से जानते हैं। वह पिछले साल 'मणिकर्णिका', 'नो फादर्स इन कश्मीर' और 'खानदानी शफाखाना' में नजर आए।
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