
अभिनेता सोनू सूद को सोमवार रात मुंबई के बांद्रा टर्मिनल स्टेशन के अंदर नहीं जाने दिया गया। वे वहां से उत्तर प्रदेश जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार कुछ मजदूरों को विदा करने आए थे। लेकिन आरपीएफ ने उन्हें प्लेटफॉर्म पर नहीं जाने दिया। इस दौरान सूद करीब 45 मिनट तक आरपीएफ कार्यालय में ही बैठे रहे।
ट्रेन रवाना होने से ऐन पहले जब सूद कार्यालय से बाहर निकलकर आए तो वहां उन्हें उन मजदूरों ने घेर लिया, जो उस ट्रेन में सवार नहीं हो पाए थे। सोनू ने उन्हें भी जल्द ही घर भिजवाने के लिए इंतजाम करने का आश्वासन दिया। बता दें कि प्रवासी मजदूरों को अपने गृह प्रदेश भेजकर सूद उनके लिए मसीहा बनकर उभरे हैं।
इस बारे में एबीपी न्यूज से बात करते हुए सोनू सूद ने कहा 'मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि मुझे प्लेटफॉर्म पर जाने को मिला या नहीं। मेरा काम मजदूरों को उनके घर भेजना है और मैं उन्हें यहां पर विश करने के लिए आया था।'
पुलिस की सफाई- हमने नहीं रोका
इस मामले में मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने प्रमुख न्यूज एजेंसी को बताया कि अभिनेता को हमने नहीं बल्कि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने रोका था। जब वे सोमवार रात को कुछ श्रमिकों से मिलने स्टेशन पहुंचे थे। वहां से उत्तर प्रदेश जाने वाली विशेष श्रमिक ट्रेन रवाना होने वाली थी। साथ ही उन्होंने बताया कि इस संबंध में उन्हें किसी तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है।
शिवसेना ने की थी सूद की आलोचना
इससे पहले शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के जरिए सूद पर आरोप लगाया था कि वे भाजपा की लिखी स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं, ताकि राज्य सरकार को बदनाम किया जा सके। उन्होंने महाराष्ट्र के सामाजिक परिदृश्य में अचानकर महात्मा सूद के सामने आने को लेकर भी सवाल खड़ा किया था। जिसके बाद सोनू ने रविवार रात मातोश्री जाकर सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी।
मजदूर दे रहे सोनू को दुआएं
इस बीच आजमगढ़ के लिए रवाना हुई ट्रेन से गए कुछ मजदूरों ने बताया कि वे दो महीनों से बहुत परेशान हो रहे थे, लेकिन सूद फरिश्ता बनकर उनकी मदद के लिए सामने आए। लोगों ने ऊपरवाले से सूद को हर तरह की खुशी देने की दुआ मांगी।
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