Friday, June 26, 2020

शेखर सुमन Exclusive: रातभर छत देखते रहते थे अध्‍ययन सुमन, डिप्रेशन में की थी खुदकुशी की बात

टीवी और फिल्‍मों के दिग्‍गज ऐक्‍टर उन चुनिंदा लोगों में से हैं, जिन्‍होंने सुशांत सिंह राजपूत की मौत की निष्‍पक्ष सीबीआई जांच की मांग की है। शेखर सुमन ने इस बाबत एक फोरम भी बनाया है। सुशांत डिप्रेशन से श‍िकार थे और समझा जाता है कि इसलिए उन्‍होंने आत्‍महत्‍या की। नवभारत टाइम्‍स से एक्‍सक्‍लूसिव बातचीत में शेखर सुमन ने अपने बेटे को लेकर भी खुलासा किया। शेखर ने बताया कि अध्‍ययन भी डिप्रेशन में खुदकुशी की बात कर चुके थे। 'सुशांत जैसी स्‍थ‍िति से गुजरा है मेरा भी बेटा' शेखर सुमन कहते हैं, ' मैं उसके पिता का दर्द समझा सकता हूं। ऐसा इसलिए कि जिस तरह से वह डिप्रेशन से गुजरे हैं, मेरे घर पर मेरा बेटा भी वैसी ही स्थिति से गुजरा है। मेरे बेटे को भी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत रोकने की कोशिश की गई। वह डिप्रेशन में चला गया था। एक बार बेटे अध्धयन ने मुझे बताया था कि उसके अंदर भी खुदकुशी का ख्याल आया था।' 'हम उसे अकेला नहीं छोड़ते थे' शेखर सुमन कहते हैं कि जब अध्‍ययन ने उनके खुदकुशी की बात कही, तो वह हैरान रह गए। उन्‍हें डर भी लगने लगा था। तब उन्‍होंने अध्‍ययन को समझाया कि जिंदगी लड़ने का नाम है। शेखर बताते हैं कि इसके बाद वह और उनकी फैमिली लगातार यह कोशिश करती थी कि अध्‍ययन के साथ कोई ना कोई मौजूद हो। यह एक तरह का डर ही था कि कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए। 'सुशांत की मौत के बाद फिर डर लग रहा है' शेखर बताते हैं, 'हम हर समय उसकी मानसिकता, उसकी सोच का ख्याल रखते थे। हमें डर था कि हमारा बेटा कोई गलत कदम ना उठा ले। हमने घर का माहौल कुछ इस तरह बनाया कि हर समय उसके इर्द-गिर्द लोग रिश्तेदार या हम मौजूद रहें। हमने बड़ी मुश्‍क‍िल से अध्ययन को उस बुरे वक्‍त से निकाला है। अब सुशांत की मौत के बाद फिर से मुझे डर लगता है।' सुबह 4 बजे तक छत को देख रहा था अध्‍ययनशेखर सुमन कहते हैं कि एक पिता को बच्‍चे की फिक्र सबसे ज्‍यादा होती है। वह उस बुरे दौर को याद करते हुए कहते हैं, 'जब अध्ययन के कमरे से बहुत देर तक कोई आवाज नहीं आती थी, तो दिल घबरा जाता था। कई बार मैं छुप-छुपकर उसके कमरे में झांकता था कि वह किस अवस्था में है। कई बार सुबह 4 या 5 बजे मैंने जब उसका दरवाजा खोल कर देखा है कि वह कमरे की छत को टकटकी लगाए देख रहा है। तब मैंने उससे कहा है कि अरे बेटा सो जाओ किस चीज की परेशानी है। हम सब तुम्हारे साथ हैं। उनके बारे में सोचो जो तुमसे भी बुरी स्थिति में हैं। परिवार और दोस्‍तों का साथ है जरूरीशेखर बताते हैं कि उन्‍होंने अध्‍ययन को यही सीख दी है कि दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो स्ट्रगल तो कर रहे हैं, लेकिन खाने-रहने की तमाम दिक्कतें भी हैं। ऐसे में खुश रहना सीखना चाहिए, जब तक परिवार और दोस्त आपके साथ हैं, कोई आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता। जालिम है फिल्‍म इंडस्‍ट्री की दुनियाशेखर सुमन कहते हैं, ' । जैसे भगदड़ के दौरान कोई पलट कर नहीं देखता कि कौन किस की लाश पर पैर रख रहा है, ठीक उसी तरह फिल्म इंडस्ट्री में भी लोग काम करते हैं। सब को आगे पहुंचना है। लोग बहुत जल्दबाजी में है, उनके लिए रिश्ते, दोस्ती, यारी बहुत ज्यादा मायने नहीं रखते। मां-बाप, भाई-बहन के अलावा बाकी जो लोग हैं फिल्म इंडस्ट्री में वह मुखौटे पहने हुए हैं। लोग तब तक आपके साथ रहेंगे जब तक आप उगते सूरज होंगे, जैसे ही आपके डूबने का समय हो जाएगा लोग आपसे दूर हो जाएंगे।' चिंता रहती है बेटे को शराब-ड्रग्‍स की लत ना लग जाएशेखर सुमन आगे कहते हैं कि उन्‍हें अध्ययन को लेकर हमेशा चिंता रहती है कि कहीं वह कोई गलत आदत न पाल लें। कहीं शराब और ड्रग्स की लत ना लग जाए।


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