एक अरसे से बॉलिवुड में छोटे शहर की कहानियों का बोलबाला जोरों पर है। सुपर स्टार्स से लेकर नए स्टार्स भी यूपी बेस्ड कहानियों में खुद को आजमा चुके हैं और इन कहानियों को दर्शकों ने भी खूब पसंद किया है। यही वजह है कि कुणाल रॉय कपूर जैसे हास्य और चरित्र अभिनेता ने फिल्मी परदे पर हीरो के रूप में अपनी एंट्री के लिए बैकड्रॉप के तौर कानपुर और लखनऊ जैसे छोटे शहर को चुना। निर्देशक विशाल मिश्रा ने इन शहरों की मानसिकता को ध्यान में रखते हुए अच्छी नियत से कहानी चुनी, मगर अफसोस वह अपने इंटेंशन को एग्जिक्यूट नहीं कर पाए। कहानी: मरुधर (कुणाल रॉय कपूर) एक उदास और सुस्त तबीयत का ऐसा लड़का है, जिसके बेरंग जीवन को लेकर उसके रंगीनमिजाज और जिंदादिल पिता (राजेश शर्मा) को हमेशा चिंता लगी रहती है कि बिना किसी महत्त्वाकांक्षा और ख्वाहिश के वह अपनी जिंदगी को कैसे आगे बढ़ाएगा। इसी जुगाड़ में वह अपने बेटे को तरह-तरह की अजीबो-गरीब तरकीबें बताता रहता है, मगर मरुधर भी चिकना घड़ा है। उस पर उसके पिता की बातों का कोई असर नहीं होता। फिर किसी तरह उसका पिता उसे शादी के लिए लड़की दिखाने लखनऊ लाते हैं, जहां मरुधर को चित्रा (तारा अलीशा बेरी) जैसे खूबसूरत और बेबाक लड़की पसंद आ जाती है। ब्यूटीपार्लर खोलने का सपना देखनेवाली ब्यूटीशन चित्रा को भी मरुधर का सीधा और मासूम होना भला लगता है। राजी-खुशी उनकी शादी भी हो जाती है, मगर अब मरुधर के पिता उसके सामने एक और शर्त रखते हुए कहता है कि साल भर में उसे दादा बनाने की जिम्मेदारी मरुधर को पूरी करनी होगी। उधर मरुधर और चित्रा अपनी अरेंज मैरिज और सेक्शुअल परफॉर्मेंसेज के चैलेंजेस से गुजरते हैं। रिव्यू: निर्देशक विशाल मिश्रा ने इसे छोटे शहर का पारिवारिक ड्रामा बनाने की पूरी कोशिश की, मगर चरित्र चित्रण में वह पूरी तरह से सफल नहीं रहे। फिल्म में कुछ हिस्से ऐसे जरूर हैं, जहां पिता-पुत्र और मरुधर की अपने दोस्तों के साथ की बॉन्डिंग मनोरंजन करती है, मगर फिर कहानी में कई जगहों पर दोहराव महसूस होने लगता है। फिल्म की प्रॉडक्शन वैल्यू भी कमजोर है। स्क्रीनप्ले ढीला-ढाला है। संगीत भी औसत ही है। अभिनय की बात करें तो कुणाल रॉय कपूर ने अपनी भूमिका को न्याय देने की पूरी कोशिश की है, मगर पूरी फिल्म में उन्होंने चेहरे पर एक जैसे उदास और बोरियत के भाव रखे हैं, जो उन्होंने किरदार की मांग को देखते हुए बनाए होंगे। चित्रा के रूप में तारा अलीशा बेरी कॉन्फिडेंट होने के साथ-साथ खूबसूरत भी लगी हैं। पिता के रूप में राजेश शर्मा ने मनोरंजन किया है, मगर कुछ जगहों पर वे भी ओवरऐक्टिंग का शिकार हो गए हैं। क्यों देखें: आप इस फिल्म को नहीं भी देखेंगे, तो आपका कोई नुकसान नहीं होगा।
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