क्रूज ड्रग्स केस (Cruise Drugs Case) में आर्यन खान 24 दिनों से कैद हैं। 2 अक्टूबर को एनसीबी ने उन्हें मुंबई से गोवा जा रही क्रूज से हिरासत में लिया था और फिर गिरफ्तार किया। तब से लेकर अब तक हर किसी के मन में यही सवाल है कि आखिर ( Bail Plea) क्यों नहीं मिल रही है। जबकि मंगलवार को ही क्रूज ड्रग्स केस में दो आरोपियों को जमानत मिल गई है। यही नहीं, एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक ऐसे आरोपी को जमानत दी है, जिसके पास से 21 किलो चरस बरामद हुआ था। बॉम्बे हाई कोर्ट में आर्यन खान की जमानत पर बुधवार को फिर सुनवाई है। आर्यन के वकील मुकुल रोहतगी ने मंगलवार को कोर्ट में जस्टिस नितिन साम्ब्रे के सामने दलील दी कि उनके मुवक्किल के पास से न तो ड्रग्स मिला है और ही उन्होंने ड्रग्स का सेवन ही किया था, फिर भी वह जेल में बंद हैं। पहले समझिए उनके बारे में, जिन्हें जमानत मिल गईक्रूज ड्रग्स में मंगलवार को पहली बार किसी आरोपी को जमानत दी गई। एक नहीं, बल्कि दो आरोपी, मनीष राजगढ़िया और अविन साहू को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया। दोनों आरोपियों को जस्टिस वीवी पाटिल की स्पेशल एनडीपीएस अदालत ने जमानत दी है। साहू के लिए कोर्ट में वकील सना रईस खान से पैरवी की। साहू के पास से ड्रग्स की बरामदगी नहीं हुई थी। जबकि राजगढ़िया के पास से 2.4 ग्राम गांजा बरामद हुआ था। उनके लिए वकील तारक सईद ने कोर्ट में जिरह की। अविन साहू के खिलाफ एकमात्र सबूत उनका खुद का कुबूलनामा था, जिसे बाद में उन्होंने वापस ले लिया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरोपी को दी जमानतमंगलवार को ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक ऐसे आरोपी को जमानत दी, जिसके पास से 21 किलो चरस बरामद हुआ था। स्पेशल जज जस्टिस सिद्धर्थ ने लाल बाबू नाम के आरोपी को जमानत दी, जो इसी साल 23 फरवरी से जेल में बंद थे। बाबू लाल के वकील प्रवीण कुमार यादव ने कोर्ट में तर्क दिया कि पुलिस अधिकारियों ने सैम्पल लेने के लिए केवल एक पैकेट से 100 ग्राम चरस लिया, जो एनडीपीएस अधिनियम के तहत नमूना लेने के लिए तय नियमों के खिलाफ है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दोषी साबित होने पर सजा की गंभीरता, जमानत की मांग करने वाले आवेदक के कैरेक्टर, परिस्थितियां, मुकदमे में अभियुक्त की उपस्थिति सुनिश्चित करने की उचित संभावना, गवाहों के साथ छेड़छाड़ की आशंका और व्यापक हितों को देखते हुए अदालत केस मैरिट पर कोई राय दिए बिना, यह मानती है कि यह जमानत देने के लिए एक उपयुक्त मामला है। आरोपी को कोर्ट की सुनवाइयों में उपस्थित रहना होगा। आगे कभी यदि यह पाया जाता है कि वह जमानत का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं तो उनपर कार्रवाई की जाएगी। अब समझिए, सेशंस कोर्ट से क्यों खारिज हुई आर्यन की जमानत पहली नजर में यह पूरा मामला आपको उलझा सकता है। लेकिन यदि बारीकी से समझने की कोशिश करें तो स्पष्ट हो जाता है कि आर्यन को जमानत मिलने में आखिर इतनी परेशानी क्यों हो रही है। आर्यन खान के मामले में सबसे पहले मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत नहीं दी थी कि इस मामले में बेल देना उनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं है। मामला कोर्ट में केस की मैरिट का था। इसके बाद आर्यन के वकीलों ने सेशंस अदालत का रुख किया। जस्टिस वीवी पाटिल की अदालत ने सेशंस अदालत में आर्यन की जमानत याचिका खारिज कर दी और इसके पीछे अपने आदेश में तीन महत्वपूर्ण बातें कहीं- - आर्यन खान के केस और उनके खिलाफ पेश किए गए चैट्स को देखकर यही लगता है कि वह नियमित तौर पर ड्रग्स का सेवन करते हैं। यदि उन्हें जमानत मिलती है तो कोर्ट भी इस बात की गारंटी नहीं ले सकता कि आर्यन रिहाई के बाद ड्रग्स का सेवन नहीं करेंगे। इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती। - आर्यन के चैट्स में विदेशी लोगों के साथ ड्रग्स के बारे में बातचीत है। एनसीबी का अंदेशा है कि यह इंटरनैशनल ड्रग्स तस्करी और इसकी साजिश से जुड़ा हो सकता है। ऐसा लगता है कि आर्यन और ये लोग एक सिंडिकेट का हिस्सा हैं। ऐसे में इसकी जांच और पूछताछ जरूरी है। लिहाजा, जमानत नहीं दी जा सकती। - आर्यन खान एक प्रभावशाली परिवार से ताल्लुक रखते हैं। संभव है कि जमानत मिलने के बाद वह केस की जांच को, सबूतों को और गवाहों को प्रभावित करें। इसलिए उनकी जमानत याचिका खारिज की जाती है। कहां फंसा है आर्यन की जमानत का पेंचयह सच है कि क्रूज टर्मिनल से हिरासत में लिए जाने के वक्त आर्यन के पास से कोई ड्रग्स बरामद नहीं हुए थे। एनसीबी ने अपने पंचनामें में आर्यन के कुबूलनामे का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उस रात उन्होंने अरबाज के साथ चरस का सेवन किया था। हालांकि, बाद में आर्यन ने अपने कानूनी अधिकारों के तहत बयान वापस ले लिया। आसान तरीके से समझें तो आर्यन के केस में एनडीपीएस ऐक्ट की दो धाराएं, उनकी जमानत की राह में बाधा बने हुए हैं। धारा 37 और धारा 29, ये दोनों ही धाराएं गैर-जमानती हैं। धारा 37 कर्मशियल मात्रा में ड्रग्स की खरीद-फरोख्त के कारण लगाई जाती है। जबकि धारा 29 ड्रग्स तस्करी और इसकी साजिश के लिए। आर्यन के वकील मुकुल रोहतगी ने मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में इन दोनों ही धाराओं को लगाए जाने का विरोध किया है। कोर्ट में मुकुल रोहतगी ने बचाव में दिए ये तर्कमुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा, 'आर्यन के पास से ड्रग्स नहीं मिले। उनके दोस्त अरबाज मर्चेंट के पास से 6 ग्राम चरस बरामद हुआ। एनसीबी कह रही है कि यह कॉन्शस पजेशन है, क्योंकि आर्यन को पता था कि अरबाज के जूतों में ड्रग्स है। मैं यह कहना चाहता हूं कि आर्यन और अरबाज दोस्त हैं। अरबाज कोई आर्यन के नौकर नहीं हैं, जो वह उन्हें कंट्रोल कर सकें। अरबाज के पास से क्या मिलता है, उससे आर्यन का क्या लेना-देना। यदि कॉन्शस पजेशन मान भी लें तो भी वहां 6 ग्राम की मात्रा बरामद हुई है। इससे तस्करी कैसे हो सकती है। साजिश तो तब होती जब गिरफ्तार सभी 20 आरोपी एक-दूसरे को पहले से मिले हुए हों। यहां तो कोई किसी को जानता भी नहीं।' ऐसे किया धारा 37 लगाए जाने का विरोधरोहतगी ने कोर्ट में धारा 37 का भी विरोध किया। कहा कि यह धारा क्यों लगाई गई है, जबकि यह लागू ही नहीं होती। उन्होंने कहा, 'आर्यन के खिलाफ सिर्फ एक कॉन्शस पजेशन का मामला है। ऐसा नहीं है कि वहां कोई पार्टी चल रही थी और लोग ड्रग्स का सेवन कर रहे थे। तो मेरे मुवक्किल को क्यों निशाना बनाया गया? जो बरामद हुआ, वह 6 ग्राम की छोटी मात्रा है। यह कोई कर्मशियल क्वांटिटी नहीं है। इसलिए यह भी मुझे हिरासत में रखने के लिए काफी नहीं है। बहुत से लोगों के पास से कर्मशियल मात्रा में ड्रग्स मिले हैं। मेरे खिलाफ कोई धारा 37 या 27ए भी नहीं है। 27A तस्करी का है। फिर धारा 29, क्योंकि मर्चेंट के पास पदार्थ पाया गया। मैं मर्चेंट के अलावा किसी को नहीं जानता। तो साजिश का आरोप कैसा। मेरे मामले में धारा 37 भी लागू नहीं हो सकती।' बहरहाल, आर्यन की जमानत पर बुधवार को हाई कोर्ट में फिर सुनवाई होगी। जस्टिस नितिन साम्ब्रे की अदालत में ASG अनिल सिंह आर्यन की जमानत का विरोध करते हुए दलील देंगे। इस दौरान मुकुल रोहतगी जरूरत पड़ने पर फिर से अपने तर्क रखेंगे। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बॉम्बे हाई कोर्ट से भी आर्यन को जमानत मिलती है या नहीं। आर्यन खान फिलहाल 30 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में आर्थर रोड जेल में बंद हैं।
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