Thursday, April 22, 2021

नदीम-श्रवण की जोड़ी बनने का किस्सा है मजेदार, 17 साल तक सिर्फ 1500 रुपये थी पगार

फिल्म 'आशिकी' (Aashiqui) से धमाल मचाने वाली मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर जोड़ी नदीम-श्रवण (Nadeem–Shravan) के म्यूजिक डायरेक्ट श्रवण राठौर () हमारे बीच नहीं रहे। एक वक्त था जब बॉलिवुड के म्यूजिक वाले गलियारों में केवल इस जोड़ी के ही गाने बजा करते थे। यूं तो गुलशन कुमार हत्याकांड की साजिश में नदीम सैफी का नाम सामने आने के बाद से ही यह जोड़ी टूट गई, लेकिन श्रवण राठौर ने अब हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया है। आइए, यहां बताते हैं कैसे और कब बनी थी नदीम और श्रवण की जोड़ी। 'कासी हिले पटना हिले कलकत्ता हिलेला' था पहला गाना तब बनी थी, जब दोनों मात्र 18-19 साल के थे और पहली फिल्म मिली थी 'दंगल' जो भोजपुरी फिल्म थी, जिसका गाना आज भी लोग गाते नजर आते हैं- कासी हिले पटना हिले कलकत्ता हिलेला, तोहरी लचके जब कमरिया सारी दुनिया हिले ला।' बॉलिवुड में 80 के दशक में तहलका मचाने वाली नदीम और श्रवण की जोड़ी कॉलेज में ही बन चुकी थी। ऐसे हुई थी पहली मुलाकात श्रवण ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह लाला लाजपत राय कॉलेज में थे और नदीम एलफिंस्टन कॉलेज में पढ़ते थे। हरीश नाम का लड़का श्रवण राठौर के पिताजी से गाना सीखने आया करता था। हरीश भी एलफिंस्टन कॉलेज से था और एक बार कॉलेज में कुछ फंक्शन था, जिसके लिए उन्होंने श्रवण को इन्वाइट किया था। यह साल 1972 का था और उसी फंक्शन में श्रवण की मुलाकात नदीम से हुई थी। इसके बाद ही दोनों ने हाथ मिलाया और फिर नदीम-श्रवण बैनर लॉन्च कर दिया। हालांकि, इसके बाद 17 साल लगे 'आशिकी' तक पहुंचने में। 'घूंघट की आड़ से दिलबर का गाना' पर नहीं मिले थे अच्छे कॉमेंट श्रवण ने अपने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था, 'हमें 17 साल का स्ट्रगल करना पड़ा। एक शाम हम ताहिर साहब के यहां पहुंचे तो हमने पहला ही गाना उन्हें सुनाया- घूंघट की आड़ से दिलबर का गाना सुनाया। हमने 3-4 घंटे गाना वाना सुनाया। लेकिन अगले दिन ईद पर ताहिर साहब ने कहा- तुम्हारे गाने में मैच्यॉरिटी नहीं है।' लंबे समय तक रास्ता न बन पाया तो नदीम ने रेडीमेड कपड़ों के बिजनस में एंट्री मार ली। 'आशिकी' के गानों के लिए मेहनताना श्रवण ने बताया था- 'धीरे धीरे मेरी जिंदगी में आना', 'नजर के सामने जिगर के पास', 'मैं दुनिया भुला दूंगा', 'दिल है कि मानता नहीं' ये चार गाने सुनकर महेश भट्ट ने गुलशन जी से फिल्म बनाने की बात कह दी। और तभी फिल्म का टाइटल 'आशिकी' भी डिसाइड हो गया। महेश भट्ट ने अपनी इस फिल्म के गाने को 50 हजार में रेकॉर्ड करने कहा था। उन्होंने बताया कि उनकी और नदीम की 17 साल की सैलरी जजह उन्होंने जोड़ी तो वह 1500 रुपए/महीने निकली। इस दौरान उन्हें काफी मुश्किलें भी आईं और उन्हें अपने घरवालों से भी काफी कुछ सुनना पड़ा था।


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