Friday, April 23, 2021

'काश! श्रणव राठौर कुंभ मेला नहीं जाते', उदित नारायण बोले- यकीन नहीं हो रहा, वो अब नहीं हैं

बॉलिवुड के मशहूर म्‍यूजिक डायरेक्‍टर श्रवण राठौर (Shravan Rathod) की कोरोना (Covid-19) ने जान ले ली। 22 अप्रैल को मुंबई के अस्‍पताल में 'नदीम-श्रवण' के श्रवण राठौर ने आख‍िरी सांसे लीं। 66 साल के श्रवण कुछ दिनों पहले ही इलाहाबाद में कुंभ मेले से लौटे थे। वहां से लौटने के बाद ही उन्‍हें और उनकी पत्‍नी और बेटे को कोरोना पॉजिटिव पाया गया। सिंगर उदित नारायण () भी श्रवण राठौर के निधन () से सदमे में हैं। उदित बताते हैं कि श्रवण राठौर ने उन्‍हें कुंभ मेले से फोन किया था। उदित कहते हैं, 'काश! श्रवण भाई कुंभ मेला नहीं जाते।' 'उन्‍होंने मुझे कुंभ से फोन किया था'उदित नारायण ने 'राज', 'बेवफा' और 'कसूर' जैसी म्‍यूजिकल फिल्‍मों में नदीम-श्रवण के साथ काम किया है। श्रवण राठौर से उनकी गहरी दोस्‍ती थी। भारी दुखी मन से उदित नारायण ने हमारे सहयोगी ETimes से बातचीत की। उदित कहते हैं, 'श्रवण भाई हाल ही कुंभ मेला गए थे। उन्‍होंने मुझे वहां से फोन किया था। मुझसे कहा- मैं पवित्र स्‍नान करने कुंभ मेला आया हूं।' 'उन्‍होंने किसी की नहीं सुनी, कुंभ चले गए'उदित नारायण बताते हैं, 'मैंने उनसे यही कहा कि यदि आप पहले मुझे यह बताते तो मैं भी आपके साथ कुंभ जाता। लेकिन जब मैंने फोन रखा तो मेरे मन में यह खयाल आया कि इस महामारी में आख‍िर वह वहां गए ही क्‍यों? उनके साथ पहले से ही स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं थीं, फिर भी वह वहां गए। उन्‍होंने किसी की नहीं सुनी और कुंभ चले गए। अब वह हमारे साथ नहीं हैं। ईश्‍वर उनकी आत्‍मा को शांति दे।' 'मुझे अभी नहीं हो रहा है यकीन'उदित नारायण आगे कहते हैं, 'मैं अभी तक यह विश्‍वास नहीं कर पा रहा हूं कि श्रवण भाई अब नहीं हैं। इतना प्‍यारा इंसान, इतना जबरदस्‍त म्‍यूजिक डायरेक्‍टर उन्‍होंने (नदीम-श्रवण) ने 90 के दशक में म्‍यूजिक इंडस्‍ट्री पर राज किया। मुझसे उन्‍होंने गाना गवाया और बहुत सारा प्‍यार दिया। उन्‍होंने मुझे एक बड़े भाई की तरह प्‍यार किया। जब कभी भी हम परेशानियों में घ‍िरे, श्रवण भाई ने फोन किया, वह मेरे घर आया। वह मुझसे कहते थे- तुम्‍हें क्‍या तकलीफ है? मुझे बताओ मैं तुम्‍हारा बड़ा भाई हूं।' 'काश! वह कुंभ मेला नहीं जाते'उदित नारायण आख‍िर में कहते हैं, 'ऐसा प्‍यारा इंसान हमें छोड़ के चला गया। लोगों के सुख-दुख को समझते थे वो। बेहतरीन फनकार हमारे बीच नहीं रहे। ऐसे मुश्‍क‍िल दौर में वह हमें छोड़कर चले गए। काश! वह कुंभ मेला नहीं जाते।'


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