Monday, May 25, 2020

सोनू सूद रोजाना हजार से ज्यादा मजदूरों को उनके राज्य पहुंचा रहे, उनका एक ही स्लोगन- ‘तुम मुझे पता दो, मैं तुम्हें घर पहुंचाऊंगा’

मुंबई से प्रवासी मजदूरों को अपने घर पहुंचाने की कोशिशों के चलते सोनू सूद इन दिनों चर्चा में छाए हुए हैं। वे रोजाना करीब एक हजार प्रवासियों को उनके राज्य पहुंचा रहे हैं। इस बारे में दैनिक भास्कर से खास बातचीत करते हुए उन्होंने इस काम को करने के लिए मिली अपनी प्रेरणा के बारे में बताया।

सोनू ने कहा, ‘15 मई के आसपास की बात है। मैं प्रवासियों को ठाणे में फल और खाने के पैकेट बांट रहा था। उन्होंने बताया कि वे लोग पैदल ही कर्नाटक और बिहार जा रहे हैं। यह सुनकर मेरे होश उड़ गए कि बच्चों, बूढ़ों के साथ ये लोग पैदल कैसे जाएंगे। मैंने उनसे कहा कि आप दो दिन रुक जाएं। मैं भिजवाने का प्रबंध करता हूं। नहीं कर सका तो बेशक चले जाना।’ इस तरह फिल्म अभिनेता और प्रोड्यूसर सोनू सूद ने माइग्रेंट्स को घर भेजने का सिलसिला शुरू किया।

रोजाना 20 घंटे काम कर रहे सोनू

दो दिन में सोनू ने कर्नाटक, बिहार और महाराष्ट्र पुलिस से अनुमति ली और पहली बार 350 लोगों को उत्तर प्रदेश भिजवाया। सोनू बताते हैं, ‘मैं काम करता रहा और कारवां बढ़ता गया...। पहले इसके लिए 10 घंटे काम करता था। अब 20 घंटे कर रहा हूं। सुबह छह बजे से फोन बजना शुरू हो जाता है। मेरा पूरा स्टाफ, दोस्त नीति गोयल भी साथ दे रहे हैं। कोशिश है कि कोई भी न छूटे।’ सोनू अपने ट्विटर अकाउंट पर खुद नजर रखते हैं। सोनू बताते हैं, ‘वे हर दिन 1000 से 1200 लोगों को उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, कर्नाटक भेज रहे हैं।’

'कुछ बच्चों की यादों को अच्छा बनाना चाहता हूं'

मदद के नाम पर घर वापसी का ही काम क्यों किया? इस सवाल पर उन्होंने बताया कि जब इन लोगों को बच्चों के साथ पैदल चलते देखा तो लगा कि ये बच्चे कितनी खराब यादें लेकर बड़े होंगे कि सड़कों पर हमारे पापा को पुलिस ने पीटा, हमारे घर के बुजुर्ग रास्ते में मर गए। मैं कम से कम कुछ बच्चों की यादों को अच्छा बनाना चाहता हूं। मैं मोगा से मुंबई आया था, तब मेरे पास रिजर्वेशन भी नहीं था। पैसे नहीं थे। मैंने सोचा कि ये लोग तो मुझसे भी बुरी स्थिति में घर जा रहे हैं।

परिजन बोलते थे- गरीबों की मदद को कामयाबी समझना

सोनू पंजाब में मोगा जिले के रहने वाले हैं। पेशे से इंजीनियर रहे हैं। मां सरोज प्रोफेसर थीं। वे सुबह से शाम तक गरीब बच्चों को पढ़ाती रहती थीं। पिता शक्तिसागर का कपड़े का बड़ा शोरूम था, जिसे आज सोनू स्टाफ के जरिये चलाते हैं। वे बताते हैं कि हमारे घर में दूसरों की मदद का इतना जज्बा था कि पेरेंट्स यही कहते थे कि गरीबों की मदद को कामयाबी समझना।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
सोनू सूद पंजाब के मोगा के रहने वाले हैं और उनका कहना है कि जब वे मुंबई आए थे तो उनका रिजर्वेशन तक नहीं था।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2X0RyFs

No comments:

Post a Comment